Sanskrit Pustakalaya

Sanskrit Pustakalaya APK 1.2 - Ücretsiz İndirme

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Son güncelleme: 10 Kas 2023

Uygulama Bilgisi

पुस्तकी भवति पण्डितः

Uygulama adı: Sanskrit Pustakalaya

Uygulama Kimliği: org.srujanjha.sanskritbooks

Derecelendirme: 0.0 / 0+

Yazar: Srujan Jha

Uygulama boyutu: 4.83 MB

Ayrıntılı Açıklama

कोई पुस्तक के कारण ही पंडित हो पाता है। पुस्तकी भवति पण्डितः। ई के माध्यम से प्रत्येक के हाथ तक संस्कृत की पुस्तक पहुंचाने के लक्ष्य पाने की अभिलाषा से मैं "ई-पुस्तक संग्रह" लेकर आपके समक्ष प्रस्तुत हूँ।
एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति तक को संक्रान्त करने के लिए समय-समय पर अनेक आधारों का प्रयोग किया गया। आज डिजिटल दौर में ज्ञान के आधार में परिवर्तन समय मांग मांग है। दूरभाष यंत्र भी उनमें से एक है, जिसके माध्यम से अब ईप्सित पुस्तक को पढ़ना संभव हो पा रहा है। हम इस ऐप में हजारों वर्षों विकसित व प्रसृत होती रही अपनी विद्या व परम्परा परम्परा, जो संस्कृत भाषा में लिखी गयी है, को लेकर आ चुके हैं। "पुस्तक संदर्शिका" एप पर पुस्तक पढ़ने की सुविधा दिए जाने की मांग होती रही है। यह ऐप उस मांग की परिणति है।
आज अंतरजाल पर संस्कृत की लाखों पुस्तकें उपलब्ध हैं। नवीन पाठकों के लिए ही नहीं, इंटरनेट के खिलाड़ी के लिए भी उनमें से वांछित पुस्तकों का चयन करना चुनौतीपूर्ण है। नेट पर अनेक व्यक्तियों एवं संस्थाओं द्वारा पुस्तकों का पीडीएफ बनाकर उपलब्ध करा दिया गया है। इनमें से कुछ ही सुपाठ्य है। हमने उनमें से अपेक्षाकृत सुपाठ्य, सभी पृष्ठों से युक्त, न्यून डाटा खपत वाले, इस प्रकार अनेक मानदंड को ध्यान में रखते सर्वाधिक युक्तियुक्त लिंक का चयन किया।। किसी पुस्तक के अनेक संस्करण, अनुवाद, टीका उपलब्ध होने की स्थिति में उनमें से ख्याति लब्ध पुस्तकों का चयन किया गया। संस्कृत पुस्तकालय में शोध तथा सन्दर्भ प्रदान करने के अपने लंबे अनुभव का प्रभूत उपयोग यहां किया है। अतः यह ऐप हजारों में से एक है। यह ऐप पुस्तक खोजने में लगने आपके समय और ऊर्जा को संरक्षित करेगा करेगा, एक सुयोग्य पथदर्शक की भूमिका का निर्वाह भी करेगा।
अंतर्जाल पर यूनिकोड में अंकित पुस्तकें भी होने होने लगी है, परंतु अभी उनमें काफी त्रुटियां हैं अथवा संपादन होना शेष है। पीडीएफ की पुस्तकों में यह समस्या अत्यल्प होती है, अतः यहां पर पीडीएफ पुस्तकों का ही लिंक दिया गया है।
आप की मांग पर इस संग्रह में अन्य पुस्तकों भी जोड़ा जाता रहेगा।। वांछित पुस्तक की प्राप्ति के लिए फीडबैक पुस्तक तथा तथा नाम आदि का उल्लेख करें।
प्रो. निर्बल मोहन झा तथा उनके सुपुत्र श्री सृजन झा 'निर्बल के बल' है। तकनीकी यह अति महत्वाकांक्षी परियोजना आपके ही बल (तकनीकी दक्षता) के कारण आप तक पहुंच सकी। आपके हाथों तक इसकी पहुंच प्रतिनायकों पर की गाथा को भी अपने अंदर समेटे हुए हैं। बहुचर्चित एवं बहूपयोगी पुस्तकों के लिंक अंतर्जाल से ढ़ूंढ़कर उपलब्ध कराने में सुश्री श्वेता गुप्ता, लखनऊ का महनीय योगदान है।
जगत् ऐप का प्रत्येक प्रयोक्ता तथा यह संस्कृत जगत्, संस्कृत के विस्तार में प्रो. झा, श्रीमान् सृजन झा तथा सुश्री श्वेता के निःस्वार्थ तकनीकि योगदान के प्रति कृतज्ञ रहेगा।
इति शम्
विदुषामनुचरः
जगदानन्द झा
संस्कृत गृहम्, कूर्माचल नगर, लखनऊ
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Uygulama Ekran Görüntüsü

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