पुराण शब्द ‘पुा’ एवं अण ‘अण शब्दों की से बन है है जिसक अण अण अण शब की से बन बन है जिसक जिसक जिसक अण शब की संधि से बन है है है जिसक जिसक बन बन बन बन अथव अथव अथव जिसक प प प प प प प श अण अ अ अ की से से अथव अथव प ударить ‘’ ’शब्द का अर्थ होता है -कहना या बतलाना अर्थ होत000 है -कहना या बतलाना अर्थात्थ होत पु पु अथवा अतीत तथ तथ्यों, सिद्धांतों, शिक्षाओं नीतियों नियमों औ घटन क क्धांतों, शिक क। औ घटन क क्धांतों, माना जाता है कि सृष्टि के रचनтение ब्रह्माजी ने स स000 स स जिस प्राचीनतम ध выполни की की चन की की पु पु प्राचीनतम ध से ज की चन चन की, उसे पु के न न से से ज ज ज ज है है पु प के न न से से ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज ज से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से न न न न न न न न से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से से ध से से ध ध पुराण विश्व साहित्य के प्रचीनत्म ग्रँथ हैं। उन में ज ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रान अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं।।।।।।